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ईमान अदब इल्म हया कुछ भी नहीं कायम हो तो लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

,,,,,, है पुरानी मगर दरिया बदल गया मेरी तलाश का भी तो जरिय बदल गया,,, ना शकल ही बदली न ही बदला गया,,, हम जिस दिए के दम पे भाबत पे उतर आए सोहबत में अंधेर के बो दिया बदल गया,,

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