परांदे लोकमत तुझे तुम्हें जान बाद में मंजिल दूर है बहुत और उड़ान बाकी है यूं ही नहीं मिलती है अब उसे मेहरबानी एक से बढ़कर एक इम्तिहान बाकी है स्थान बाकी है जंग है हौसले जरूर है जीतने के लिए सारा जहान बाकी है

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