ये जरुरी नहीं कि इसान हर रोज मंदिर जाए बल्कि कर्म ऐसे होने चाहिए कि इसान जहा भी जाए, मंदिर बही बन जाए,,,,, आज से हम अपने कमी को दिव्य बनाए,,,,,

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